Kavita
तुम्हे कठिन डगर पे चलना है | Devendra Narayan Jha
तुम्हे कठिन डगर पे चलना है,
गिर कर और फिसल कर जीवन पर्वत पर चढ़ना है।
to be continued..
मिथिला | Ashok Jha
मिथिला
मिथिला के चरण पखारै छै,कमला कोशी बलान ।
स्वयं महादेव नौकर बनी,एला मिथिला धाम ।।
पोखैर में उपजै छै माछ मखाना,चंदा कहावथि मिथिला में मामा ।
पढै छै देखु सुगा, मिथिला में वेद पुराण ।।
स्वयं महादेव नौकर बनी एला मिथिला धाम ।।
मिथिला के धरती परम पुनीता,देखु प्रगट भेली माता सीता।
बरन करैला विष्णु ,बनि एला श्री राम।।
स्वयं महादेव नौकर बनि,एला मिथिला धाम ।।
श्यामा काली दुर्गा ने जानी,माटिक थुमहा में गोसौन के मानी।
घर घर माटिक पूजा सं, जन जन के कल्याण ।।
स्वयं महादेव नौकर बनी ,एला मिथिला धाम ।।
लागै छै मिथिला में दूल्हा के मेला,जग में कतहु नहीं एहेन खेला ।
महेश शुरेश बराती,दूल्हा श्री राम।।
स्वयं महादेव नौकर बनी,एला मिथिला धाम।।
बृन्दावन नही मथुरा काशी,मैथिल केवल बैकुंठ के वाशी ।
जखन उठल ने डोली वर देला श्री राम।।
स्वयं महादेव नौकर बनी एला मिथिला धाम।।
कोमल कुशुमित शीतल वाणी,मिथिला सम दोसर के अभिमानी ।
बुलन ने छोड़ल कहियो,मैया चरण के आस।।
महिमा की अधिक बखानब,भेला महा कवि काली दास।।
~अशोक झा